जैन पहेलियॉं !! jain riddles !!

jain riddles

जैन पहेलियॉं !!  jain riddles !!

1. त्रिशला रानी माँ कहलाती, महावीर को प्यार जताती। 
जन्म कहाँ पर माँ ने पाया, कौन बताए मेरे भाया॥
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2. सप्त व्यसन है महा दुखदाई, किया है जिसने दुर्गति पाई। 
नाम कौन है हमें बताता, इनसे बचता वो सुख पाता ॥
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3. नाभिराय के पुत्र कहाय, तीर्थंकर का पद है पाय। 
कब और कहाँ से मोक्ष है पाया, सही-सही बतलाओ भाया॥
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4. विषयों को जो चखकर जाने, रसना इन्द्रिय वो पहचाने। 
पाँच विषय हैं उसके होते, नाम बताओ अब क्यों सोते॥
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5.दिव्यध्वनि के हैं जो कारण, पाप ताप का करते वारण। 
कितने गणधर सभी बताएं, समवसरण में शोभा पाएँ ॥
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6.ज्ञान ही भव का कूल कहाता, राग सहित जग में भटकाता। 
हम हैं कितने ज्ञान के धारी, सोच बताओ सब नर-नारी ॥
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7. सकल कर्म से मुक्त है होना, पाप ताप को जड़ से खोना। 
तत्त्व कौन सा मुनिवर कहते,नाम बताओ दुःख क्यों सहते ॥
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8. केवलज्ञान जिन्होंने पाया, भरत क्षेत्र में प्रथम कहाया। 
प्रथम प्रभु का नाम बताओ, केवलज्ञानी तुम बन जाओ॥
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9. झूठी है संसार की माया, युद्ध क्षेत्र में समझ है आया। 
गज पर ही कचलोंच है कीना,राजा कौन सा कहो नवीना ॥
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10. पूज्यपाद मुनि ने है लिक्खा, इष्टोपदेश शुभ नाम है रक्खा। 
कुल श्लोक है कितने इसमें, सही बताओ ज्ञात हो क्षण में ॥
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11. जिसने जितना पाप कमाया, उसने उतना दुख ही पाया। 
पटलों की संख्या बतलाओ,अलग-अलग सब में गिनवाओ ॥
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12. देव मनुज तिर्यञ्च नारकी, सम्यक् दृष्टि मात्र पारखी। 
गुणस्थान हैं किसमें कितने, जिनवाणी को धारो चित में ॥
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13. जीवन को उन्नत है बनाता, नरक पतन से हमें बचाता। 
अष्ट मूलगुण कौन से धारे, कहे जिनागम हमें सहारे ॥
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14. धन्य धन्य है प्रभु की माता, इन्द्र भी जिनको शीश नवाता। 
सोलह स्वप्न कौन से भाई, देखे हैं तीर्थंकर माई ॥
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15. मल मूत्रों का बना पिटारा, दुर्जन जैसा तन का सहारा। 
भावना कौन सी है कहलाती, है वैराग्य भाव उपजाती ॥
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16.सुन्दर रूप मनोहर काया, श्वेत वर्ण है जिनने पाया। 
तीर्थंकर को शीश झुकाओ, फिर उनका है नाम बताओ ॥
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17. सात भूमि में कहीं न साता, दुख ही दुख मिलता है भ्राता। 
अष्टम्भूमि का नाम बताओ, प्राप्त करो तो सुख पा जाओ ॥
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18. बार-बार मरकर भी जनमता, लाख चौरासी योनि भटकता। 
इनको पृथक् पृथक् गिनवाओ,सिद्ध बनो फिर लौट न आओ॥
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19. णमोकार की महिमा न्यारी, सदा रखो तुम इससे यारी|  
शत अठ बार जपे क्यों त्राता, ज्ञात तुम्हें हो कह दो भ्राता॥
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20. कर्म धूल को हैं चिपकाती, आतम को मैला है बनाती। 
नाम कषायों के भेद सहित बतलाओ, छुटकारा तुम इनसे पाओ॥
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21. अर्हत् सिद्धाचार्य उपाध्याय, साधु जी को हम नित ध्याय। 
हमें मूलगुण सबके बोलो, कर्म काट मुक्ती पट खोलो॥
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22. मध्यलोक के बीच में पर्वत, नाम सुमेरु देव हैं अर्चत। 
इसकी तुम ऊँचाई बताओ, कितने मन्दिर यहाँ गिनाओ॥
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23. णमोकार शुभ मन्त्र कहाता, पैंतीस अक्षर की है गाथा। 
छ:अक्षर का मन्त्र बताओ, नित जप कर तुम कर्म खपाओ॥
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24. जीता मरता जीव अकेला, संग में चलता गुरु न चेला। 
भावना कौन सी है कहलाती, मोह भाव को दूर भगाती॥
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25. ज्ञान ध्यान का ग्रन्थ कहाता, गुरु की गौरव गाथा गाता। 
ज्ञानार्णव शुभ नाम है पाया, गुरु का नाम बताओ भाया॥
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26. हिंसा पाप है बड़ा कहाता, दुर्गतियों में वो ले जाता। 
चार भेद हैं कौन बताए, त्यागी बन कर सुख पा जाए ॥
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27. पक्ष में दो अरु माह में चार, पर्व है आते सदाबहार। 
नाम पर्व का हमें बताना, संयम धर जीवन सफल बनाना॥
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28. ज्ञान से मिलता भव का किनारा, ज्ञान बिना न कोई सहारा। 
मतिज्ञान के भेद बताओ, केवलज्ञानी तुम बन जाओ॥
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29. जहाँ वाणी प्रगट वीर की, छः अक्षर का नाम| 
गौतम जहाँ गणधर हुए, बतलाओ वह धाम ||
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30. तीन लोक में अनुपम है, जो तीन लोक में सार | 
उसकी महिमा बढ़ जाती है, जो करता उससे प्यार ||
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