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 !!जय जिनेंद्र!!

हम जैन हैं, हम जैनिज़्म को फॉलो करते हैं और हमें गर्व है कि हम एक ऐसे कुल में जन्में हैं जहाँ के कुलाचार में अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की महक है| ये सभी जीवन को जीने के वो सिद्धांत हैं जिसकी चर्चा तो सभी धर्मों में की गयी है लेकिन एकमात्र जैन धर्म में ही इसे चरितार्थ किया गया है| इसी कारण आज जबकि जैन पॉपुलेशन सबसे कम है फिर भी हर धर्म/महज़ब जैनिज़्म के followers को सम्मान की दृष्टि से देखा करता है| 

ये हमारा सौभाग्य है कि हमें जन्म से ही 3 बेस्ट गिफ़्ट मिले हैं- सच्चेदेव, सच्चेशास्त्र और सच्चेगुरु| सच्चे देव/ जिनेंद्र देव तो भव्य जीवों को आत्मकल्याण का उपदेश देकर चले गये, शास्त्र जिनालयों में सुशोभित हो रहे हैं और सच्चेगुरु/  निर्ग्रंथगुरु जैन एवं जैनेत्तर समाज को भगवान जिनेंद्रदेव के सिद्धांतों से परिचय कराते हुये निरंतर अपने आत्मकल्याण को साधते हुये अपने दायित्व को निभा रहे हैं| 

अब विचारने वाली बात यह है कि क्या जैनधर्म में जन्म लेने के बाद इस जैनधर्म हमारा कोई दायित्व बनता है या नहीं? सच तो यह है कि आज जैनेत्तर समाज जो भी प्रतिष्ठा जैनधर्म की है वो एकमात्र इस कारण से है कि हमारे जैन मुनियों/ निर्ग्रंथ मुनियों ने अपने दायित्व का निर्वाहन किया है, उन्होंने जैनेत्तर भाइयों को मंदिर में बैठे भगवान महावीर से मिलवाया, उन्होंने ही भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांतों से दुनियाँ को परिचय कराया| 

उन्होंने तो इतना कुछ जैनिज़्म के लिए किया लेकिन हम-आपने जैनिज़्म के लिये उसके प्रचार प्रसार के लिये आजतक क्या है? आज प्रचार-प्रसार का सबसे ससक्त साधन यदि कोई है तो वो है Social Media, लेकिन जैन मुनिराजों की अपनी कुछ आचारसहितायें ( Code of conduct ) हैं लेकिन हमारी आपकी नहीं है| बस इसी कारण से जैनिज़्म के सिद्धांतों को, जैनिज़्म के इतिहास को, जैनिज़्म की लोकहितकारी चर्चाओं को जनसामान्य के बीच पहुंचाने का यह मेरा प्रयास है|  

अंत में, मैं  मेरे इस प्रयास को ऊर्जा और गति देने वाले मेरे गुरुवर 'प. पू. भावलिंगी संत राष्ट्रयोगी श्रमणाचार्य 108 श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज' के चरणों में सत्-सत् नमन करता हूँ| यद्यपि नीतिकारों का कहना है कि गुरु का नाम सर्वप्रथम स्मरणीय होता है, मुझे भी था लेकिन मैंने उसे प्रथम न रखकर अंत में इसलिए रखा क्योंकि कुछ संतवादी व्यक्ति आज मात्र गुरुओं के नामों में ही उलझकर जैनिज़्म की जड़ों को खोखला करने में ही लगे हुये हैं पर मैं यह बात आपको अवश्य बता दूँ कि मेरे इस blog पर आपको संतवाद, पंथवाद और जातिवाद को support करने वाला कोई भी content मिलने वाला नहीं है, हाँ उसके खिलाफ़ कुछ content अवश्य मिल सकता है इसलिये संतवादी, पंथवादी और जातिवादी भाई मेरे blog से दूर ही रहे| 

धन्यवाद!

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