पहेलियों के उत्तर !! Answers to Riddles !!

1.सिंधुदेश के वैशाली नगर

2."जुआ खेलन, मांस सेवन, मद्यपान, वेश्या सेवन, शिकार खेलना, चोरी, पर-नारी रमण"

3. आदिनाथ भगवान  माघ कृष्ण  चतुर्दशी के दिन  कैलाश पर्वत से  मोक्ष  गये

4. खट्टा , मीठा , कड़वा , कसायला और चरपरा ।

5. 1452 गणधर|

6. दो ज्ञान- मतिज्ञान, श्रुतज्ञान।

7. मोक्ष तत्व|

8. 1008 श्री आदिनाथ भगवान| 

9. राजा मधु|

10. 51 श्लोक|

11. प्रथम नरक में 13 पटल, दूसरे नरक में 11 पटल, तीसरे नरक में 9 पटल, चौथे नरक में 7 पटल, पाँचवे नरक में 5 पटल, छठवें नरक में 3 पटल, सातवें नरक में 1 पटल

सातों नरकों में कुल 49 पटल होते हैं ।

12. देव गति और नरक गति में प्रथम से चतुर्थ गुणस्थान होते है ।
तिर्यंच गति में प्रथम से पंचम गुणस्थान होते है ।
मनुष्य गति में प्रथम से चौदहवें गुणस्थान तक होते है ।
13. पाँच उदम्बर फल - बड़, पीपल, पाकर, उमर, कठूमर
तीन मकार - मद्य, मांस, मधु 

14. १-ऐरावत हाथी, २-सफेद बैल, ३-सिंह, ४-दो सफेद फूल, ५-सिंहासन पर लक्ष्मी, ६-पूर्ण चंद्रमा, ७-उदित सूर्य, ८-दो स्वर्ण कलश, ९-युगल मछली, १०-तालाब, ११-समुद्र, १२-स्वर्णमय सिंहासन, १३-रत्नमय विमान, १४-नाग भवन, १५-रत्न, १६-निर्धूम अग्नि।

15. अशुचि भावना|

16. चंदाप्रभुजी और पुष्पदंतजी भगवान|

17. ईषत प्राग्भार

18. 1. नित्य निगोद        7 लाख
      2. इतर निगोद        7 लाख
      3. पृथ्वीकायिक       7 ला
      4. जलकायिक        7 ला
      5. अग्निकायिक       7 ला
      6. वायुकायिक        7 ला
      7. वनस्पतिकायिक   10 ला
      8. दो इन्द्रिय           2 ला
      9. तीन इन्द्रिय         2 ला
     10. चार इन्द्रिय       2 ला
     11. नारकी            4 ला
     12. तिर्यञ्च            4 ला
     13. देव               4 ला
     14. मनुष्य           14 ला
                       कुल योग 84लाख
19. समरंभ समारंभ आरंभ के ३ × मन वचन काय के 3 × कृतकारित अनुमोदना के 3 =२७ × क्रोध मान माया लोभ के ४
ऐसे २७×४=१०८ बार रोजाना अपने से पाप होते है इसलिये 108 बार जाप करते है |

20. कषाय के 25 भेद है- 16 कषाय+9 नोकषाय
क्रोध, मान, माया, लोभ (चारो के चार भेद- अनंतानुबंघी कषाय, अप्रत्याख्यानावरण कषाय, प्रत्याख्यानावरण कषाय, संज्जवलन कषाय)
हास्य, रति, आरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरुषवेेद, नपुंसाकवेद|

21. अरिहंत 46, सिद्ध 8, आचार्य 36, उपाध्याय 25, साधु 28|

22. 1 लाख 40 योजन , 16 जिनालय ।

23. ॐ नमः सिद्धेभ्य

अरिहंत सिद्ध और अरिहंत साधु|

24. एकत्व भावना|

25. श्री शुभचन्द्र आचार्य|

26. संकल्पी, उद्योगी, आरंभी व विरोधी हिंसा|

27. अष्टमी व चतुर्दशी कृष्ण व शुक्ल पक्ष की|

28. अवग्रह, ईहा, अवाय, और धारणा ये मतिज्ञान के चार भेद हैं ।

29. समवशरण|

30. आत्मा|

Post a Comment

0 Comments