आदर्श मुख्यमंत्री श्री मिश्रीलाल गंगवाल !! Ideal Chief Minister Mr. Mishrilal Gangwal !!

 

आदर्श मुख्यमंत्री श्री मिश्रीलाल गंगवाल

(१९०२-१९८१)



१- तत्कालीन मध्य भारत के मुख्यमंत्री रहे, मालवा के गाँधी के नाम से विख्यात, अपने स्नेहिल व्यवहार से भैय्याजी उपनाम से प्रसिद्ध श्री मिश्रीलालजी गंगवाल नैतिक मूल्यों के देवदूत, स्वयं सेवक रत्न, जैन वीर, जैन रत्न जैसी अनेक उपाधियों के धारक थे।

२- १९५१—५२ में भारत के प्रथम आम चुनाव में निर्वाचित होकर मुख्यमंत्री का पद संभाला तथा अनेक मुख्यमंत्रियों के काल में आप वित्त मंत्री बनाये गये, इसका मूल कारण यह था कि जैसे आप अपने जीवन में मितव्ययी थे, वैसे ही शासन में भी थे।

३- गंगवाल साहब के मितव्ययी स्वभाव के संदर्भ में उनके पुत्र श्री निर्मलजी ने लिखा है—हम जिस बंगले में रहते, क्या मजाल है कि कहीं भी बिजली के बल्ब फालतू जलें। इसीलिए बिजली और टेलीफोन का बिल पूरे मंत्री—परिषद् की अपेक्षा सबसे कम आता था। कभी—कभी स्वयं पत्र लिखते तो आने वाले लिफाफे को खोलकर, पीछे की तरफ में पत्र लिखते। एक होलडाल और एक सूटकेस ही हमने उनके पास जीवन भर देखा। कभी हमने उन्हें साबुन का इस्तेमाल करते नहीं देखा, स्नान भी तीन या चार लोटे पानी में कर लेते। पानी के उपयोग की बड़ी पाबन्दी थी। इसके बावजूद उनकी काया कंचन थी।

४- आर्थिक मसलों पर उनकी सूझबूझ और वित्त एवं योजना—विकास—मंत्री के रूप में उनके दीर्घकालीन अनुभवों को मद्देनजर रखकर श्री प्रकाशचन्द सेठी ने १९७५ में गंगवाल जी को राज्य योजना आयोग का सदस्य मनोनीत किया था।

५- व्यायाम और संगीत आपको विशेष प्रिय थे। इतने ऊँचे पद पर आसीन होने के बाद भी वे सभाओं में भजन गाने में संकोच नहीं करते थे।

६- राजनीति के साथ सामाजिक एवं धार्मिक जगत् के आप केन्द्र—बिन्दु रहे। प्रत्येक व्यक्ति के साथ अंतरंग आत्मीयता, निश्छल स्नेह आपके गुण थे। सेवा परायणता और विनम्रता तो जैसे आपके रक्त में मिली थी। जो भी आपके सम्पर्व में एक बार आया, वह आपका होकर ही रह गया।

७- शैक्षणिक और साहित्यिक गतिविधियों से गंगवाल साहब सदैव जुड़े रहे। गरीब विद्यार्थियों को विद्या अध्ययन हेतु सहायता करना उन्हें अत्यन्त प्रिय था। इन्दौर के कितने ही विद्यालयों/पुस्तकालयों के संस्थापक / अध्यक्ष / मंत्री आदि थे।

८- आपने मुख्यमंत्री होने पर भी राजकीय अतिथि को माँसाहार कराने से पं. जवाहरलाल नेहरू को मनाकर दिया था तथा आगुन्तक अतिथि को शुद्ध शाकाहारी भोजन करवाकर संतुष्ट किया।

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