विलक्षण प्रतिभावान युवा वैज्ञानिक

अशुल कहते हैं कि पूरी मानवता और प्राणीमात्र के कल्याण के लिए मैं जैनेटिक के क्षेत्र में आया। जिस परीक्षा को देकर में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सफल हुआ हूँ। उसके लिए प्रवेश की पात्रता उन्हीं को है, जो शाकाहारी है, आलू, प्याज, लहसुन अथवा तामसिक आहार नहीं करते अन्यथा उसको छोड़ना पड़ता है। इसका कारण है कि इनसे क्रोध और तामसिक प्रवृत्ति पैदा होती है और इस क्षेत्र में धैर्य और शांत चित्त की आवश्यकता है। में जैन हूँ इसलिए मुझे प्रवेश में सरलता से पात्रता मिली, इसका मुझे गर्व है।
- अंशुल जैन, उम्र 23 वर्ष, जैनेटिक साइंस के छात्र हैं तथा इन्दौर (म. प्र. ) के निवासी हैं। श्री डी जैन एवं श्रीमती कल्पना जैन के सुपुत्र हैं। ताऊ डॉ. श्री सुरेन्द्र जैन हैं एवं अग्रज हैं डॉ अंकुर जैन। उच्च शिक्षित परिवार की पृष्ठभूमि से उन्हें प्रेरणा एवं मार्गदर्शन मिला। वर्तमान में डब्ल्यू एच ओ के डी. ओ. ई. में बतौर जूनियर वैज्ञानिक कार्यरत हैं। जैनेटिक साइंस के क्षेत्र में उनको प्रतिभा का लोहा दुनिया भर के साइंटिस्ट मान चुके हैं।
- विश्व के सबसे जूनियर साइंटिस्ट अशुल जैन ने अपनी काबिलियत की छाप अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पूरे विश्व में उस समय स्थापित कर ली जब इन्होंने भारत में ही रहते हुए 1-2 नहीं पूरे 42 अनसुलझे अन्तर्राष्ट्रीय अपराधिक वारदातों को सुलझाकर दुनिया भर के अपराध विशेषज्ञों सुपर कॉप्स और फोरेसिक मेडिसिन साइंटिस्ट को चकित कर दिया है। अंशुल जैनेटिक साइंटिस्ट हैं और उनका नाता मानव रक्त में मौजूद गुणसूत्रों व डी. एन. ए. से है, उन्होंने रक्त और जीन्स के नमूनों के आधार पर ही अपराधियों को बेनकाव किया है।
- भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अंशुल जैन को ओजोन मैन ऑफ द वर्ल्ड घोषित किया है। कलाम साहब ने उपलब्धियों को उत्कृष्ट बताते हुए एक व्यक्तिगत पत्र भी लिखा था।
- दुनिया भर से अंशुल जैन की अविश्वनीय प्रतिभा से चमत्कृत लोगों के बधाई पत्र भारत की माननीय राष्ट्रपति महोदया को मिले। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अंशुल की उपलब्धियों से अभिभूत होकर एक व्यक्तिगत बधाईपत्र भी प्रेषित किया है।
- श्री जैन की विलक्षण बुद्धि से प्रभावित होकर अमेरिका की फोरेंसिक रिसर्च काउंसिल ने इन्वेस्टिगेशन सेल में उन्हें मनोनीत किया है।
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