भगवान पार्श्वनाथ दस भव प्रश्नोत्तरी (भाग- 1 ) !! Bhagawan Parshvnath Das Bhav Prashnottari (Part - 1) !!

(प्रथम भव)


प्रश्न १ -भगवान पार्श्वनाथ दस भव पूर्व कौन सी पर्याय में थे?
उत्तर -भगवान पार्श्वनाथ दस भव पूर्व मरुभूति की पर्याय में थे।
 
प्रश्न २ -मरुभूति कौन था?
उत्तर -मरुभूति राजा अरविन्द का मंत्री था।
 
प्रश्न ३ -राजा अरविन्द कहाँ के राजा थे?
उत्तर –राजा अरविन्द पोदनपुर के राजा थे।
 
प्रश्न ४ -मरुभूति को मंत्री पद की प्राप्ति कैसे हुई?
उत्तर –मरुभूति के पिता ब्राह्मण विश्वभूति पोदनपुर नरेश महाराजा अरविन्द के मंत्री थे, एक बार उन्हें संसार से वैराग्य हो गया और वह महाराजा अरविन्द से आज्ञा ले दीक्षा के लिए तत्पर हुए तब अरविंद महाराज ने परम्परा से आगत मंत्री पद उनके दोनों पुत्रों कमठ एवं मरुभूति को प्रदान किया।
 
प्रश्न ५ -क्या राजा से प्राप्त मंत्री पद को कमठ एवं मरुभूति दोनों ने उचित रूप से निर्वहन किया?
उत्तर –नहीं, कमठ अत्यन्त कुटिल परिणामी दुष्टात्मा था और मरुभूति अतिशय सरल स्वभावी धर्मात्मा था। मंत्री कमठ समय पाकर निरंकुश हो गया और सर्वत्र अन्याय का साम्राज्य फैला दिया जबकि मरुभूति ने उचित रूप से मंत्री पद का निर्वहन किया।
 
प्रश्न ६ -कमठ ने कौन सा ऐसा दुस्साहसिक कार्य किया जिससे उसे देश निकाला दिया गया?
उत्तर –कमठ ने अपने छोटे भाई मरुभूति की पत्नी के साथ व्यभिचार किया जिसके फलस्वरूप राजा की आज्ञा से उसका सिर मुंडवाकर मुख पर कालिख पोतकर गधे पर बैठाकर सारे नगर में घुमाया गया और देश निकाला दे दिया।
 
प्रश्न ७ -इस अपमान को सहन करता हुआ कमठ कहाँ गया?
उत्तर –इस अपमान की अग्नि से झुलसा हुआ कमठ भूताचल पर्वत पर तापसियों के आश्रम में पहुँचा और उनके प्रमुख गुरु से दीक्षा ले तापसी बन पत्थर की शिला हाथ में लेकर तपस्या करने लगा।
 
प्रश्न ८ -पंचाग्नि तप किसे कहते हैं?
उत्तर –चारों तरफ अग्नि जलाकर और वृक्ष पर छीके में बैठ जाना तथा नीचे भी अग्नि जला लेना पंचाग्नि तप है।
 
प्रश्न ९ -क्या मरुभूति भाई के इस निन्दनीय कार्य के कारण उसे क्षमा कर सका?
उत्तर –सरल स्वभावी मरुभूति ने न सिर्पक़ भाई को क्षमा ही प्रदान की अपितु भाई से मिलने व वापस घर लाने की उत्कण्ठा से तापसी आश्रम में जाकर भाई से विनयपूर्वक लौटने की प्रार्थना भी की।
 
प्रश्न १०-मरुभूति की प्रार्थना को स्वीकार कर क्या कमठ वापस घर आ गया?
उत्तर –जब मरुभूति ने कमठ से प्रार्थना की तब वह वापस घर न आकर अत्यन्त क्रोधित हो उठा और क्रोधवश पत्थर की शिला भाई मरुभूति के सिर पर पटक दी जिससे मरुभूति की वहीं तत्काल मृत्यु हो गयी।
 
प्रश्न ११-इस कुकृत्य को करने के बाद कमठ का क्या हुआ?
उत्तर –इस कुकृत्य के फल से प्रमुख तापसी गुरु ने उसकी बार-बार निन्दा करते हुए आश्रम से निकाल दिया।
 
प्रश्न १२-आश्रम से निकलकर वह कहाँ गया?
उत्तर –आश्रम से निकलकर वह पापी वन में पहुँचकर भीलों से मिलकर चोरी, डकैती आदि करने लगा।
 
प्रश्न १३-मरुभूति कहाँ गया?
उत्तर -मरुभूति भाई के मोहवश मरकर अतिसघन सल्लकी नामक वन में वङ्काघोष नाम का विशालकाय हाथी हो गया।

Post a Comment

0 Comments