Q. प्रथमानुयोग क्या है? (What is Prathamanayoga?)
A. जिसमें चारों पुरूषार्थ, त्रेषठ शलाका के पुरूषों के चरित्र तथा पुण्य आश्रव कराने वाली कथाओं का वर्णन होता है वह प्रथमानुयोग है।
Q. प्रथमानुयोग का स्वाध्याय क्यों करना चाहिये? (Why should we do self-study of Prathamanuyog?)
A. कथानुयोग, जिसको सबसे पहले होने के कारण प्रथमानुयोग कहते हैं इसका स्वाध्याय इसलिए आवश्यक है कि इसमें महापुरूषों के जीवन-चरित्र का वर्णन किया गया है, जिसको पढ़कर यह पता लगता है कि एक पापी, व्यसनी मनुष्य भी सदाचार का आश्रय लेकर अपने जीवन का उत्थान कर सकता है, मोड सकता है तथा एक धार्मात्मा मनुष्य भी पापादि कार्यें को करने से दुर्गति का पात्र बन सकता है, पथ-भ्रष्ट होकर संसार-उटवी में भटक सकता है। साथ ही इसमें दुर्बोध तत्वों को साकार रूप दे दिया है। इसलिए इसका स्वाध्याय कर बालबुद्धि जन भी धर्म के रहस्य को समझकर उसे अपने जीवन में उतार सकते हैं। कथानक इतने रोचक होते हैं कि पढ़ते-पढ़ते मन कभी नहीं कहता कि बस, ज्यों-ज्यों पढ़ते जाते हैं त्यों-त्यों ही इच्छा बेल बढ़ती जाती है। कथानक मात्र कथानक ही नहीं, यह उन महापुरूषों की गौरव गाथा है, जिन्होंने अपने पुरूषार्थ के बल से समस्त शत्रुओं को जीत मुक्तिवधू को प्राप्त किया है।ऐसे महापुरूषों का चरित्र पढ़ने से जाग उठता है पुरूषार्थ और मोड़ लिया जाता है अपने को पापों की ओर से। कष्टों व दुर्गतियों से भयभीत होकर लगा दिया जाता है मन को धर्मकार्यों में, व्रत-आचरणों में, आत्म-चिन्तन में, मुक्ति-लक्ष्मी से मिलने के लिए। इसलिए हमें प्रथमानुयोग के महापुराण, हरिवंशपुराण, पद्मपुराण, वरांगचरित्रादि ग्रंथों का स्वाध्याय अवश्य करना चाहिये|
Q. प्रथमानुयोग के कुछ ग्रन्थों के नाम बताइये। (Name some Books of Prathamanuyoga.)
Q. भगवान महावीर स्वामी के तीर्थ काल में घोर उपसर्ग सहन करके विजयादिक विमानों में जन्म लेने वाले दश मुनियों के नाम बताइये। ( Bhagawan Mahaveer Swami ke tirth kaal me ghor upsarg sahan karke vijyadik vimaanon mein janm lene vaale dash muniyon ke naam bataiye.)
A. 1 ऋषिदास 2 वान्य 3 सुनक्षत्र 4 कार्तिक 5 नंदनंदन 6 शालिभद्र 7 अभय 8 वारिषेण 9 चिलात पुत्र 10 श्री।
Q. भगवान महावीर के समय में होने वाले दश अंतकृत केवली भगवंतों के नाम बताइये।(Mention the names of ten Antakrit Kevali Bhagwants who were born in the time of Lord Mahavir.)
A. 1 - नमि , 2 - मतंग , 3 - सौमिल , 4 - रामपुत्र , 5 - सुदर्शन , 6 - यमलोक - 7 - वलीक , 8 - निष्कम्बल , 9 - पाल एवं , 10 - अम्बष्ट पुत्र ये दस अंतकृत केवली भगवान महावीर स्वामी के काल में हुए हैं।
Q. प्रथमानुयोग के स्वाध्याय से क्या लाभ होता है ? (What is the benefit of self-study of Prathamanuyog?)
A. संसार, शरीर, भोगों से वैराग्य, परिणामों में निर्मलता, पुण्य-पाप का ज्ञान, आत्म हित करने की प्रेरणा एवं समाधि का लाभ प्रथमानुयोग संबंधी शास्त्रों का स्वाध्याय करने से होता है।
Q. किन मुनि के सिर पर जलती हुई सिगड़ी रखी गई थी? (kin muni ke sir par jalatee huee sigadee rakhee gaee thee?)
A. गजकुमार मुनि के सिर पर जलती हुई सिगड़ी रखी गई थी।
Q. सर्वप्रथम किसने ग्रन्थों को लिपिबद्ध किया? उनके द्वारा सबसे पहले कौन से शास्त्र की रचना हुई? (sarvapratham kisane granthon ko lipibaddh kiya? unake dvaara sabase pahale kaun se shaastr kee rachana huee?)
A. सर्वप्रथम मुनि पुष्पदंत और भूतबलि ने ग्रन्थों को लिपिबद्ध किया। उनके द्वारा सबसे पहले षट्खंडागम शास्त्र की रचना हुई।
Q. किन मुनियों को लोहे के गर्म आभूषण पहनाये गये थे? (kin muniyon ko lohe ke garm aabhooshan pahanaaye gaye the?)
A. पाँचों पांडव मुनियों को लोहे के गर्म आभूषण पहनाये गये थे।
Q. किन मुनि ने सात सौ मुनियों का उपसर्ग दूर किया था? (kin muni ne saat sau muniyon ka upasarg door kiya tha?)
A. विष्णु कुमार मुनि ने सात सौ मुनियों का उपसर्ग दूर किया था।
Q. किन आचार्य को भस्मक व्याधि का रोग हुआ था? (kin aachaary ko bhasmak vyaadhi ka rog hua tha?)
A. समन्तभद्र आचार्य को भस्मक व्याधि का रोग हुआ था।
Q. किन मुनि को तीन दिन तक लोमड़ी खाती रही? (kin muni ko teen din tak lomri khaatee rahee?)
A. सुकुमाल मुनि को तीन दिन तक लोमड़ी खाती रही, महान उपसर्ग सहते रहे तथा आत्मध्यान पूर्वक देह त्याग कर सर्वार्थसिद्धि में देव हुए।
Q. किन मुनिराज के गले में राजा श्रेणिक ने मरा हुआ सर्प डाला था? (kin muniraaj ke gale mein raaja shrenik ne mara hua sarp daala tha?)
A. यशोधर मुनिराज के गले में राजा श्रेणिक ने मरा हुआ सर्प डाला था।
Q. किन मुनिराज को देवताओं ने मनुष्य का रूप बदलकर वन में आहार दिया था? (kin muniraaj ko devataon ne manushy ka roop badalakar van mein aahaar diya tha?)
A. चन्द्रगुप्त मुनिराज को देवताओं ने मनुष्य का रूप बदलकर वन में आहार दिया था।
Q. सुकौशल मुनिराज को किसने भक्षण किया और वह उनकी क्या थी? (sukaushal muniraaj ko kisane bhakshan kiya aur vah unakee kya thee?)
A. सुकौशल मुनिराज को व्याध्री ने भक्षण किया, जो पूर्व जन्म में उनकी माता थी।
Q. भरत चक्रवर्ती ने कितने समय में केवल ज्ञान प्राप्त किया? (bharat chakravartee ne kitane samay mein keval gyaan praapt kiya?)
A. भरत चक्रवर्ती ने भावों की विशुद्धि से एक मुहुर्त में केवल ज्ञान को प्राप्त किया।
Q. तीर्थंकर आदिनाथ से पहले कौन मोक्ष गये?(teerthankar aadinaath se pahale kaun moksh gaye?)
A. अनन्तवीर्य और बाहुबलि दोनों तीर्थंकर आदिनाथ से पहले मोक्ष गये।
Q. बौद्धों को किसने धर्म विवाद में पराजित किया था?(bauddhon ko kisane dharm vivaad mein paraajit kiya tha?)
A. अकलंक स्वामी ने बौद्धों को धर्म विवाद में पराजित किया था।
Q. कुलभूषण देशभूषण का उपसर्ग किसने दूर किया था? (kulabhooshan deshabhooshan ka upasarg kisane door kiya tha?)
A. कुलभूषण देशभूषण का उपसर्ग राम-लक्ष्मण ने दूर किया था।
Q. जम्बूस्वामी विवाह की रात्रि में जम्बूस्वामी और उनकी चार नवविवाहिता स्त्रियों की चर्चा को सुनकर किस चोर ने अपने पाँच-सौ साथियों के साथ जिनदीक्षा धारण कर ली थी?(jamboosvaamee vivaah kee raatri mein jamboosvaamee aur unakee chaar navavivaahita striyon kee charcha ko sunakar kis chor ne apane paanch-sau saathiyon ke saath jinadeeksha dhaaran kar lee thee?)
A. जम्बूस्वामी विवाह की रात्रि में जम्बूस्वामी और उनकी चार नवविवाहिता स्त्रियों की चर्चा को सुनकर वहाँ चोरी करने आये विद्युतप्रभ चोर ने अपने पाँच-सौ चोरों के साथ जिनदीक्षा धारण कर ली थी। साथ ही जम्बूस्वामी के माता-पिता और चारों कन्याओं ने भी दीक्षा ले ली थी।
Q. किन मुनिराज ने बल ऋद्धि से कैलाश पर्वत को दबाया था?(kin muniraaj ne bal rddhi se kailaash parvat ko dabaaya tha?)
A. बाली मुनिराज ने बल ऋद्धि से कैलाश पर्वत को दबाया था।
Q. नेमिनाथ स्वामी को क्या देखकर वैरागय उत्पन्न हो गया था?(neminaath svaamee ko kya dekhakar vairaagay utpann ho gaya tha?)
A. नेमिनाथ स्वामी को बारात के समय पशुओं को बाड़े में बँधा हुआ देखकर वैरागय उत्पन्न हो गया था।
Q. किस बालक के गिरने पर पत्थरशिला चूर-चूर हो गयी थी?(kis baalak ke girane par pattharashila choor-choor ho gayee thee?)
A. बाल हनुमान के विमान से गिरने पर पत्थरशिला चूर-चूर हो गयी थी।
Q. किसने अनजाने में अपनी ही बहिन से विवाह करने की इच्छा की थी?(Who unknowingly wished to marry his own sister?)
A. कुलभूषण, देशभूषण को अनजाने में अपनी ही बहिन को विवाह की इच्छा से देखने से, गलती का पता चलने पर संसार से वैराग्य उत्पन्न हो गया था और दोनों तभी मुनि दीक्षा धारण करके जंगल में चले गये थे।
Q. कौन से राजा को युद्ध में हाथी पर बैठे-बैठे वैराग्य उत्पन्न हो गया था, और उन्होंने वहीं केशलोंच कर मुनि दीक्षा धारण कर ली?(kaun se raaja ko yuddh mein haathee par baithe-baithe vairaagy utpann ho gaya tha, aur unhonne vaheen keshalonch kar muni deeksha dhaaran kar lee?)
A. राजा मधु को युद्ध में हाथी पर बैठे-बैठे वैराग्य उत्पन्न हो गया था, उन्होंने वहीं केशलोंच किया और मुनि दीक्षा धारण की।
Q. किसके प्रभाव से सेठ सुदर्शन की शूली सिंहासन में बदल गयी?(kisake prabhaav se seth sudarshan kee shoolee sinhaasan mein badal gayee?)
A. शील के प्रभाव से सेठ सुदर्शन की शूली सिंहासन में बदल गयी।
Q. दीवान अमर चन्द ने माँसाहारी सिंह को क्या खिलाया था ? (deevaan amar chand ne maansaahaaree sinh ko kya khilaaya tha ?)
A. दीवान अमर चन्द ने माँसाहारी सिंह को मिष्ठान खिलाये थे।
Q. किसने जिन धर्म के लिए अपने भाई की जान बचाकर, अपने प्राण दिये?(kisane jin dharm ke lie apane bhaee kee jaan bachaakar, apane praan diye?)
A. निकलंक ने जिन धर्म के लिए अपने भाई अकलंक की जान बचाकर, अपने प्राण दिये और अकलंक देव ने चारों ओर जिन धर्म का डंका बजा दिया था।
Q. किसने अंजन चोर को निरंजन बनने का अवसर प्रदान किया?(kisane anjan chor ko niranjan banane ka avasar pradaan kiya?)
A. णमोकार मंत्र पर अटूट श्रद्धा ने अंजन चोर को निरंजन बनने का अवसर प्रदान किया।
Q. अग्नि परीक्षा के बाद सीता जी का जीव कहाँ गया?(agni pareeksha ke baad seeta jee ka jeev kahaan gaya?)
A. अग्नि परीक्षा के बाद सीता जी के जीव ने पृथ्वीमति माताजी से आर्यिका के व्रत ग्रहण किये तथा ६६ वर्ष तक तप किया। अन्त समय में तैंतीस दिन तक चारों प्रकार के आहार त्याग कर मनुष्य गति से चयकर सोलहवें स्वर्ग में प्रतिन्द्र हुआ। भविष्यकाल में मोक्ष जायेगा।
Q. कुत्ते को णमोकार मंत्र किसने सुनाया और वह कुत्ता मरकर क्या हुआ?(kutte ko namokaar mantr kisane sunaaya aur vah kutta marakar kya hua?)
A. जीवंधर कुमार ने कुत्ते को णमोकार मंत्र सुनाया, जिसके सुनने से कुत्ता मरकर देव हुआ।
Q. मरणासन्न बैल को किसने णमोकार मंत्र सुनाया और वह मरण कर क्या हुआ?(maranaasann bail ko kisane namokaar mantr sunaaya aur vah maran kar kya hua?)
A. पद्मदन्त सेठ ने मरणासन्न बैल को णमोकार मंत्र सुनाया, जिससे वह राजकुमार हुआ। कुछ भव पश्चात् वे दोनों राम, सुग्रीव बनकर मोक्ष को चले गये।
Q. णमोकार मंत्र की अविनय से सुभौम चक्रवर्ती कहाँ गया?(namokaar mantr kee avinay se subhaum chakravartee kahaan gaya?)
A. णमोकार मंत्र की अविनय से सुभौम चक्रवर्ती सातवें नरक गये।
Q. राजा वसु हिंसात्मक वचन बोलने से मरकर कहाँ गया?(raaja vasu hinsaatmak vachan bolane se marakar kahaan gaya?)
A. राजा वसु के हिंसात्मक वचन बोलने से सिंहासन धरती में धँस गया, वह मरकर नरक गया। उसका मित्र गुरुपुत्र पर्वत भी नरक गया।
Q. किस सती ने सिद्धचक्र का पाठ कर अपने पति तथा सात सौ अन्य साथी कुष्ठियों का कुष्ठ रोग दूर किया ?(kis satee ne siddhachakr ka paath kar apane pati tatha saat sau any saathee kushthiyon ka kushth rog door kiya ?)
A. सती मैनासुन्दरी ने सिद्धचक्र का पाठ किया। पुण्योदय से उसके पति तथा सात सौ अन्य साथी कुष्ठियों का कुष्ठ रोग दूर हुआ।
Q. किस सती के धर्म प्रभाव से सर्प श्री मणि का हार बन गया था?(kis satee ke dharm prabhaav se sarp shree mani ka haar ban gaya tha?)
A. सोमासती के धर्म प्रभाव से सर्प श्री मणि का हार बन गया था।
Q. पूजन के भाव से मेढक मरकर कहाँ उत्पन्न हुआ तथा किस भगवान के समवशरण में गया?(poojan ke bhaav se medhak marakar kahaan utpann hua tatha kis bhagavaan ke samavasharan mein gaya?)
A. पूजन के भाव से मेढक मरकर देवगति में उत्पन्न हुआ तथा महावीर भगवान के समवशरण में गया।
Q. विदेह क्षेत्र में तीर्थंकर के कितने कल्याणक होते हैं?(videh kshetr mein teerthankar ke kitane kalyaanak hote hain?)
A. विदेह क्षेत्र में तीर्थंकर के २, ३ या ५ कल्याणक होते हैं।
Q. तीर्थंकरों सामान्य अरिहंतों में क्या अंतर है?(What is the difference between Tirthankaras and normal Arihants?)
A. 1. तीर्थंकरों के कल्याणक होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं।
2. तीर्थंकरों के चिह्न होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं। 3. तीर्थंकरों का समवसरण होता है, सामान्य अरिहंतों के नहीं।उनकी गंधकुटी होती है। 4. तीर्थंकरों के गणधर होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं। 5. तीर्थंकरों को जन्म से ही अवधिज्ञान होता है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है। 6. तीर्थंकरों को दीक्षा लेते ही मनः पर्ययज्ञान होता है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है। 7. तीर्थंकर अपनी माता की अकेली संतान होते हैं, सामान्य अरिहंतों के अनेक भाई-बहिन हो सकते हैं। 8. तीर्थंकर जब तक गृहस्थ अवस्था में रहते हैं तब तक उनके परिवार में किसी का मरण नहीं होता है, किन्तु सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है। 9. भाव पुरुषवेद वाले ही तीर्थंकर बनते हैं, किन्तु सामान्य अरिहंत तीनों भाववेद वाले बन सकते हैं। 10. तीर्थंकरों के प्रशस्त विहायोगतिका ही उदय रहता, किन्तु सामान्य अरिहंतों के दोनों में से कोई भी हो सकता है। 11. तीर्थंकरों के सुस्वर नाम कर्म का ही उदय रहेगा, सामान्य अरिहंतों के दोनों में से कोई भी हो सकता है। 12. चौथे नरक से आने वाले तीर्थंकर नहीं बन सकते किन्तु सामान्य अरिहंत बन सकते हैं। 13. तीर्थंकरों की माता को सोलह स्वप्न आते हैं, सामान्य अरिहंतों के लिए यह नियम नहीं है। 14. तीर्थंकरों के श्रीवत्स का चिह्न नियम से रहता है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है। 15. तीर्थंकरों की दिव्य ध्वनि नियम से खिरती है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है। जैसे - मूक केवली की नहीं खिरती है।
2. तीर्थंकरों के चिह्न होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं।
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